बहुत याद आती है वो घर की बूढ़ी निशानी। बहुत याद आती है वो घर की बूढ़ी निशानी।
बेटे ! अब तुम हमको भूल गए! पता नहीं किस दुनियाँ में यूँ तुम उलझ गए !! मुड़ के भ बेटे ! अब तुम हमको भूल गए! पता नहीं किस दुनियाँ में यूँ तुम उलझ गए !...
मना कर रही पड़ी बेबस, रहने दो बेजान पड़ी बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई। मना कर रही पड़ी बेबस, रहने दो बेजान पड़ी बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल...
कल मालिक ने उसे यहां बांधा था रात से कुछ खाया भी नहीं था कल मालिक ने उसे यहां बांधा था रात से कुछ खाया भी नहीं था
डर के ताले जिनके पीछे कैद हैं विश्वास और निश्चिंतता। डर के ताले जिनके पीछे कैद हैं विश्वास और निश्चिंतता।
दिल की तड़प ने पहुंचाया उस मुकाम पर, मिलने की ही उम्मीद पे रूहानी लगे मुझे। दिल की तड़प ने पहुंचाया उस मुकाम पर, मिलने की ही उम्मीद पे रूहानी लगे मुझे।